कैसे होती है सरस्वती पूजा और क्या है पूजा का महत्व।

कैसे होती है सरस्वती पूजा और क्या है  पूजा का महत्व। 
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या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
  • हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्,
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥




ज्ञान की  देवी सरस्वती की पूजा  वसंत पंचमी के दिन की जाती है।  इस दिन का विशेष महत्व है।  वसंत ऋतु का आगमन शरद ऋतु  के बीतने के ठीक बाद होता है।    वसंत पंचमी का दिन किसी भी शुभ कार्य करने के सबसे महत्वपूर्ण होता है।  इस दिन बच्चों का विद्या संस्कार भी किया जाता है।  गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि  ऋतुओं में वसंत हूँ  मैं।  

महाकवि कालिदास ऋतुसंहार नामक काव्य में  कहते हैं कि सर्वप्रिये  चारुतरं  वसन्ते।  वही वसंत पंचमी से ही होली की शुरुआत हो जाती है।   

 माता सरस्वती की पूजा  स्कूल- कॉलेजों  के साथ - साथ  सभी शिक्षण संस्थानों में किया जाता है।  


"या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।"

"ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि,
 तन्नो देवी प्रचोदयात्।" 

"पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।" 

"विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।"

 


माता सरस्वती की उत्पति : 


माता सरस्वती की उत्पति के बारे में एक पौराणिक कहानी है।   पुराणों में ऐसा वर्णित है कि माता सरस्वती की  उत्पति ब्रह्मा जी ने की।  सृष्टि की रचना के बाद  उन्होंने देखा की इस सृष्टि में कुछ न कुछ अधूरा है।  सृष्टि में स्वर और संगीत नहीं था।  भ्रह्मा जी ने अपने  कमंडल से जल निकला और छिड़का जिसे एक अद्भुत प्रकश पुंज उत्पन्न हुआ जो देवी सवरासते थी।  हंस पर सवार चतुर्भुज रूप धारी  माता सरस्वती  के घंटों में वीणा थी. . ब्रह्मा जी ने माता को वीणा बजने को कहा जैसे ही माता ने वीणा  बजाय।  नदियों से कल कल की आवाज़ आने लगी।  पंछी चहचाने लगे।  संगीतमय हो गयी पूरी दुनिया।  




सरस्वती माता का मन्त्र : 

बीज मन्त्र 


ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः।
ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।।



 ध्यान मन्त्र 

ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम्।
हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ।।

विद्या मन्त्र 

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।।

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By -  MISSION BIHAR 

                       www.missionbihar.com/sarawati-puja


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