बिहार के प्रमुख मंदिर : जानकी मंदिर , सीतामढ़ी -----
बिहार के प्रमुख मंदिर : जानकी मंदिर, सीता सीतामढ़ी
जानकी मंदिर ,सीतामढ़ी -----
महाराज जनक की पुत्री सीता जिसे जानकी के नाम से भी जाना जाता है , इन्ही के नाम से जानकी मंदिर है। सीतामढ़ी में जानकी मंदिर है सीतामढ़ी का नाम भी जनक नंदनी सीता के नाम पर रखा गया है। बात त्रेता युग है। यह कथा वाल्मीकि रामायण और तुलसीकृत रामायण में बताई गई है।
सीतामढी रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पवित्र भूमि पर जानकी मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में में भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ स्थापित की गई है। यह मंदिर नगर के पश्चिमी छोर पर स्थित है। सीतामढ़ी जानकी मंदिर के नाम से विख्यात यह मंदिर अत्यंत ही पवित्र एवं विशेष आस्था का केंद्र है।
रामायण की कथा के अनुसार राजा जनक मिथिला के राजा थे यह मिथिला राज आज के उत्तर बिहार और पुरे नेपाल तक था। राजा जनक के राज्य में बहुत दिनों से बारिश नहीं हो रही थी। उनके राज पुरोहित ने कहा की राजा अगर खेत में जाकर हल चलाएं तो अवश्य ही बारिश होगी। राजा जानक खेत में हल चने गए और वही हल का सीत एक मटके से लगा। मटका टूटने के बाद उसमे से बच्चे के रोने की आवाज़ आई। राजा ने नज़दीक जाकर देखा तो उसमे एक बच्चा था , वही सीता थी।
सीता के जन्म की एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार सीता माता रावण की पुत्री थी .ऐसी मान्यता है कि एक दिन रावण वहां से निकल रहा था जहां वेदवती तपस्या कर रही थी और वेदवती की सुंदरता को देखकर रावण उस पर मोहित हो गया. रावण ने वेदवती को अपने साथ चलने के लिए कहा लेकिन वेदवती ने साथ जाने से इंकार कर दिया. वेदवती के मना करने पर रावण को क्रोध आ गया और उसने वेदवती के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा रावण के स्पर्श करते ही वेदवती ने खुद को भस्म कर लिया और रावण को श्राप दिया कि वह रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेंगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेंगी.
कुछ समय बाद मंदोदरी ने एक कन्या को जन्म दिया. लेकिन वेदवती के श्राप से भयभीत रावण ने जन्म लेते ही उस कन्या को सागर में फेंक दिया. जिसके बाद सागर की देवी वरुणी ने उस कन्या को धरती की देवी पृथ्वी को सौंप दिया और पृथ्वी ने उस कन्या को राजा जनक और माता सुनैना को सौंप दिया.
जिसके बाद राजा जनक ने सीता का पालन पोषण किया और उनका विवाह श्रीराम के साथ संपन्न कराया. फिर वनवास के दौरान रावण ने सीता का अपहरण किया जिसके कारण श्रीराम ने रावण का वध किया और इस तरह से सीता रावण के वध का कारण बनीं।
सीतामढ़ी नगर के पश्चिमी छोर पर अवस्थित यह मंदिर सीतामढी रेलवे स्टेशन से 2 किलोमीटर की दूर है। इस जानकी मंदिर में भगवान श्रीराम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ है।
सीतामढ़ी जानकी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर हिंदिओं के लिए अत्यंत पवित्र है।






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