रोहतास जिले के पर्यटन स्थल -

 

रोहतास  जिले के  पर्यटन स्थल - 


रोहतास एक ऐतिहासिक एवं पौराणिक जिला है।   पर्यटन के हिसाब से बड़ा ही महायवपूर्ण है।  


  • रोहतास गढ़ का किला - 



  • किला काफी भव्य है. किले का घेरा 28 मील तक फैला हुआ है. इसमें कुल 83 दरवाजे हैं, जिनमें मुख्य चारा घोड़ाघाट, राजघाट, कठौतिया घाट व मेढ़ा घाट है. प्रवेश द्वार पर निर्मित हाथी, दरवाजों के बुर्ज, दीवारों पर पेंटिंग अद्भुत है. रंगमहल, शीश महल, पंचमहल, खूंटा महल, आइना महल, रानी का झरोखा, मानसिंह की कचहरी आज भी मौजूद हैं. परिसर में अनेक इमारतें हैं जिनकी भव्यता देखी जा सकती है. यहां की प्रकृति छटा देखते ही बनती है.



  • इन्द्रपुरी डैम  ---- 





  • इंद्रपुरी बराज (जिसे सोन बराज भी कहा जाता है) रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड के इंद्रपुरी में सोन नदी पर स्थित है. सोन नद मध्य प्रदेश में अमरकंटक के पास नर्मदा नदी के पूर्व में बसती है. सोन मध्यप्रदेश से निकल कर उत्तरप्रदेश, झारखण्ड और बिहार के पहाड़ियों से गुजरते हुए पटना के समीप जाकर गंगा नदी में मिल जाती है।   इंद्रपुरी बराज का निर्माण 1960 के दशक में किया गया था और इसे 1968 में चालू किया गया था. इसकी करीब 209 मिल की मुख्य नहरे है और 150 मिल की छोटी नहरे और आगे डेढ़ हजार मिल तक उससे भी छोटी नहरें हैं.


  • पायलट बाबा का मंदिर -- 




  •     पायलट बाबा के भारत में कुल चार वही दो अंतरराष्ट्रीय स्थानों नेपाल और जापान में स्थित हैं।पायलट बाबा के भक्त दूर दूर से इनके आश्रम दर्शन करने आते है | उनमे से एक सासाराम का आश्रम है जहाँ आपको भक्ति के साथ साथ देशभक्ति की भी झलक देखने को मिल जाएगी , यहाँ एक से बढ़कर एक बड़ी बड़ी भगवान की प्रतिमा स्थापित किया गया है,



  •   गुप्त धाम----



  • यह गुप्तेश्वर  स्थान शिव मंदिर।  भस्मासुर ने भगवन शिव से वरदान माँगा कि  वह जिसके सर अपर हाथ रख दे वह भष्म हो जाये।  वरदान पाकर  वह भगवन शिव को भष्म करने के लिए दौड़  पड़ा।  कहा जाता है की भगवन  शिव  यही इसी गुफा में आकर छिप गए थे।  फिर भवन विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर भष्मासुर का नाश किया।  



  • कैमूर की पहाड़ी --  



  • बिहार की जिस कैमूर पहाड़ी की बात कर रहे हैं वो विध्या रेंज का पूर्वी हिस्सा है। ये पहाड़ी लगभग 483 किमी. में फैली है। ये मध्य प्रदेश के जबलपुर से लेकर बिहार में रोहतास और सासाराम तक है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर को भी छूती है। सासाराम से कैमूर की दूरी 72 किमी. है और गया से कैमूर लगभग 200 किमी. दूर है।


  • मानझार कुंड ----- 



  • रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी पर स्थित मांझर कुंड और धुआं कुंड अपनी मनोरम सुंदरता के लिए जाना जाता है। बरसात की शुरुआत होते ही यहां पर्यटकों की आमद बढ़ जाती है। मांझर कुंड और धुआं कुंड जलप्रपात दशकों से प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। यहां आकर लोग प्रकृति के संगीत को करीब से सुन पाते हैं। पहाड़ से गिरते पानी को निहारना रोमांचक एहसास देता है।

  • धुआ कुंड --- 



  • रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी पर स्थित मांझर कुंड और धुआं कुंड अपनी मनोरम सुंदरता के लिए जाना जाता है। बरसात की शुरुआत होते ही यहां पर्यटकों की आमद बढ़ जाती है। मांझर कुंड और धुआं कुंड जलप्रपात दशकों से प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। यहां आकर लोग प्रकृति के संगीत को करीब से सुन पाते हैं। पहाड़ से गिरते पानी को निहारना रोमांचक एहसास देता है।




  • शेर शाह सूरी का मकबरा----



  •    शेरशाह सूरी का मकबरा भारत के बिहार राज्य के सासाराम शहर में    स्थित है। मकबरा बिहार के प्राचीन काल के नामचीन सम्राट में से एक  शेरशाह सूरी की याद में बनाया गया था | शेरशाह वीर,चतुर,बुद्धिमान,कुत्नीतीज़ व्यक्ति थे, जिन्होंने 17 मई 1540 को मुगल साम्राज्य के  हुमायूँ की सेना को बुरी तरह परस्त कर उत्तरी भारत में सूरी सल्तनत की स्थापना की थी।शेर शाह सूरी का जन्म १४८० में हुआ था उनका बचपन का नाम ‘फरीद’था,उस समय में  हिन्दोस्तान के अधिकांश   हिस्से पर लोदी वंश के सुल्तान बहलोल लोदी का सासन चलता था. वहीं, भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना करने वाला उज्बेक शासक बाबर समरकंद को जीतने के लगातार प्रयास कर रहा था|



  • माँ तारा चंडी का मंदिर --- 


  • माँ तारा चंडी पीठ  देश  के 52 पीठों से सबसे पुराना पीठ माना जाता है। पुराण के अनुसार उनके पत्नी "सती " अपने पिता के घर अपने स्वामी को अबमानना होने पर जब आत्मदाह किए , भगबान  शिव  क्रोध मे आकार सती के सब को उठाकर भयंकर तांडब  करने लगे। उसी मे बिश्व द्वंश होने का खतरा रहा। भगबान बिष्णु बिश्व को रक्षया करने हेतु अपने चक्र  भेज कर सती के सब को खंड खंड करा दिये। वो सभी खंड भारतीय उपमहादेश की बिभिन्न प्रांत में गिरे। वो सभी प्रांत को शक्ति -पीठ  माना जाता है और हिंदुओं के लिए सभी पीठ बहुत मतत्वपूर्ण रहे है। माँ तारा पीठ पर सती की "दाहिने आँख " पड़े थे। यहाँ एक अति प्राचीन मंदिर , जिनहे " माँ सती " मंदिर कहा जाता था,उसे माँ तारा  की आबास कहा जाता है।  

    कैमूर पहाड़ियों में अनन्य कई आकर्षण भी रहे है। यहाँ गुप्त महादेव मंदिर, पारबती मंदिर,  पुराने गुंफाओं, मँझार कुंड और धुआ कुंड नामक दो जलप्रपात  है। येही दोनों जलप्रपात  से बिजली उत्पादन भी संभब  है।  



  • देहरी -------- 



  • देहरी, सोन नदी के किनारे, 99 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ब्रिटिश काल के दौरान देहरी एक मुख्य कैंपिंग स्थल था, जब सैनिक कोलकाता से दिल्ली जाते समय सोन नदी को पार करते थे। यही वो स्थान था जहाँ वे आराम करने के लिए रूकते थे और कैंपिंग को पराओ कहा जाता था। देहरी का शाब्दिक अर्थ है, आधारभूत (बेस) शहर। वैसे शहर का सबसे प्रमुख अवयव कोयले का डिपो है जहाँ संपूर्ण उत्तरी क्षेत्र से लोग कोयला खरीदने के लिए आते हैं। यह स्थान इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि प्रसिद्ध बंगाली उपान्यासकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय यहाँ रहते थे और जिन्होंने यहाँ अपना उपन्यास ‘गृहदाह’ लिखा था।

  • ध्रुवा कुंड -   ---
     

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