बिहार के प्रमुख मंदिर --थावे भवानी मंदिर , गोपालगंज
बिहार के प्रमुख मंदिर --थावे भवानी मंदिर , गोपालगंज -
थावे भवानी मंदिर,गोपालगंज
थावे भवानी मंदिर एक जागृत शक्ति पीठ है । अति प्राचीन यह मंदिर है। कहा जाता है की तीन सौ साल से यहाँ भवानी माता जागृत अवस्था में हैं। यहाँ आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
यह मंदिर सुन्दर एवं घने वन से घिरा है ।
गोपालगंज शहर से महज 6 किलोमीटर दूर गोपालगंज सिवान मुख्य मगर पर अवस्थित इस अम्बिका भवानी मंदिर में सैलून भर श्रद्धुलों की भीड़ लगी रहती है।
इस मंदिर और माँ भवानी से जुडी हुई एक अद्भुत कहानी है। यही थावे में रहसु नाम का एक माता भक्त रहता था।
वह जंगल से घास फुस लेकर आता और अपने घर के सामने रख देता फिर। फिर जंगल से शेर और बाघ को पकड़ कर लता था। फिर उनको लते वाली झाली से बांध कर उस घास पर घूमता था। शेर बाघ जैसे हिंसक जानवर बैल की तरह उसका दावनी का काम करते। जानवरो के जाने के बाद रहसु घास को हटाता था और वह से धन और चावल निकलता था। यह बात पुरे यज्य में फ़ैल गई। रहसु बिना खेती किये धन और गेहूँ निकलता है और वो भी जंगली घास से।
उस समय वहां हथुआ के राजा मनन सिंह थे। ऐसा कहा जाता है की मनन सिंह चेर वंश के शाषक थे। राजा को इस बात की खबर लगी तो उन्होंने रहसु को बुलाया और घास से अन्न निकलने का राज पूछा। रहसु ने कहा की यह सब अम्बे भवानी की कृपा है। राजा मुर्ख था। उसने कहा - मैं तुम्हारे भवानी को देखना चाहता हूँ। रहसु ने राजा से बहुत प्रार्थना की लेकिन राजा ज़िद पर अड़ा रहा। अंत में रहसु ने भवानी को याद किया। माता कामाख्या मंदिर से चली और पटना पटनदेवी पहुंची। रहसु ने कहा माता पटना आई है। अभी भी वक़्त है उनको लौटा देते हैं। राजा ने कहा मुझे देखना है। रहसु ने फिर माता को याद किया। माता आमी अम्बिका भवानी मंदिर पहुंच गई। रहसु ने अंतिम बार चेताया और कहा माता के आने से तुम्हारा सर्वनाश हो जायेगा। राजा और क्रोधित हो गया। रहसु ने माता को बुलाया और माता भवानी आ गई। भक्त रहसु का मस्तक फटा और माता का हाथ बहार आया। देवी के कंगन वाले
हाथ का दर्शन करते ही राजा मनन सिंह की मृत्यु हो। गई राजा मनन सिंह का महल खंडहर हो गया। सब कुछ नष्ट हो गया। तब से लेकर आज तक देवी का जाग्रत अवस्था में यहीं वास् है।
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