रोहतास जिले का परिचय -

रोहतास जिला पटना प्रमंडल का हिस्सा है। जिले का मुख्यालय सासाराम है। १९७२ में शाहाबाद जिले का विभाजन कर रोहतास और भोजपुर जिला बनाया गया। जिले के 3 अनुमंडल बिक्रमगंज , सासाराम और डेहरी है। जिले में 19 प्रखंड , 245 पंचायत और 2072 गांव हैं। इसके पूर्व में औरंगाबाद और गया जिला है , पश्चिम में कैमूर , उत्तर में भोजपुर और दक्षिण में पलामू जिला है।
रोहतास एक प्राचीन स्थान है, और इसकी पुराणी कहानी है । सतयुगी सूर्यवंसी राजा सत्यहरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व द्वारा स्थापित रोहतासगढ़ के नाम पर इस क्षेत्र का नामकरण रोहतास हुआ। प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल टॉड ने लिखा है कि रोहतास क़िला का निर्माण कुशवंशी (कुशवाहा) लोगों ने करवाया है।1582 ई. यानि मुग़ल बादशाह अकबर के समय रोहतास, सासाराम, चैनपुर सहित सोन के दक्षिण-पूर्वी भाग के परगनों- जपला, बेलौंजा, सिरिस और कुटुंबा शामिल थे। 1784 ई. में तीन परगनों- रोहतास, सासाराम और चैनपुर को मिलाकर रोहतास जिला बना और फिर 1787 ई. में यह जिला शाहाबाद जिले का अंग हो गया। 10 नवम्बर 1972 को शाहाबाद से अलग होकर रोहतास जिला पुनः अस्तित्व में आ गया। अंग्रेजों के जमाने में यह क्षेत्र पुरातात्विक महत्व का रहा। 1861 ई. में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना के साथ अलेक्जेंडर कनिंघम पुरातात्विक सर्वेयर नियुक्त हुए। उन्होंने गया जिले से लेकर पश्चिम में सिंध तक के पुरास्थलों का सर्वे किया इस क्रम में रोहतास भी अछूता न था बाद में 1871 ई. में कनिंघम को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का महानिदेशक नियुक्त किया गया तो उसी समय 1882 ई. में सासाराम स्थित शेरशाह रौजे का जीर्णोद्वार हुआ।
पूर्व-ऐतिहासिक दिनों में जिले का पठार क्षेत्र आदिवासियों का निवास रहा है जिनके
मुख्य प्रतिनिधि अब भार्स, चीयर्स और ओराओं हैं। कुछ किंवदंतियों के अनुसार
खेरवार रोहतस के पास पहाड़ी इलाकों में मूल बसने वाले थे। ओरेन्स का यह भी दावा
है कि उन्होंने रोहतस और पटना के बीच के क्षेत्र पर शासन किया था।
स्थानीय किंवदंती राजा सहस्रबाहू को रोहतस जिले के मुख्यालय सासरम से भी जोड़ती है।
ऐसा माना जाता है कि सहस्रबुहू की हत्या महानगर ब्राह्मण संरक्षक सेंट पारसुराम के
साथ भयानक लड़ाई थी, जिसके परिणाम स्वरूप सहस्रबुहू की हत्या हुई थी। माना
जाता है कि सासाराम शब्द सहस्रबाहू और पारसुराम से लिया गया था। एक अन्य
पौराणिक कथा रोहतास पहाड़ी को राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिततावा से जोड़ती है, जो
एक प्रसिद्ध राजा थे, जो अपनी पवित्रता और सच्चाई के लिए जाने जाते थे।
६ वें बीसी से लेकर ५ वीं शताब्दी एडी तक रोहतास मगध साम्राज्य का एक हिस्सा था।
सासाराम के पास चंदन शहीद पत्थर पर उधृत सम्राट अशोक केआदेश ने इस जिले
पर मौर्य की विजय की पुष्टि करते हैं। 7 वीं शताब्दी एडी में यह जिला कन्नौज के हर्ष
शासकों के नियंत्रण में आया था।
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