कैमूर जिले का परिचय

 


कैमूर जिले का  परिचय 

 


कैमूर  जिला  पटना प्रमंडल के अंतर्गत आता है।  इसके पूर्व में रोहतास जिला , पश्चिम में उत्तर परदेश , दक्षिण में  झारखण्ड और उत्तर में  बक्सर जिला आता है।  इसमें 2  अनुमंडल और 11 प्रखंड हैं।  कैमूर जिला का प्रशासनिक मुख्यालय भभुआ है।    कैमूर का एस टी डी  कोड - 06180 और पं कोड 821102  है।  कैमूर। कैमूर जिला 17 मार्च 1991 को रोहतास जिले से अलग होकर एक स्वतंत्र जिले के रूप में अस्तित्व में आया। 19 अगस्त 1991 से यह विधिवत स्वतंत्र जिले के रूप मे कार्यरत हो गया। 

आज का कैमूर जिला प्राचीन काल में  मौर्य और मगध साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता  था। कैमूर पर्वत श्रृंखला के नाम पर जिले का नामकरण हुआ। कैमूर जिले की संस्कृति में उत्तर प्रदेश खास कर वाराणसी एवं बिहार की सांस्कृतिक और सामाजिक धाराओं का सम्मिश्रण है। काशी और मगध की प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृतियों के बीच पनपी भोजपुरी संस्कृति में दोनों संस्कृतियों का मणिकांचन संयोग है।


 जिले की प्रमुख भाषा भोजपुरी और हिन्दी है। जिले का एक प्रखंड अधौरा पूर्ण रूप से कैमूर पर्वत श्रृंखला पर अवस्थित है। अनुसूचित जनजाति बहुल यह प्रखंड जहां एक तरफ अपने परिवेश के लिए विख्यात है वहीं यहां के आदिवासी और आदिम जनजाति अशिक्षा के जाल में जकड़े हुए हैं व मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। जिले के 1,06,300 हेक्टेयर भू-भाग में पहाड़ तथा जंगल का क्षेत्र है। यहां के दर्शनीय स्थलों में प्रमुख तेल्हाड़ कुंड जल प्रपात, अश्ररावण कुंड, ¨सघाय और जबाड़खोह जल प्रपात तथा गुफाओं में मिले अति प्राचीन भित्तचित्र है। कैमूर जिले में देश का प्राचीनतम पौराणिक स्थल मां मुंडेश्वरी का मंदिर है। जिसका निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ ऐसा माना जाता है। इसी के समकालीन मां चंडेश्वरी मंदिर है। हरसू ब्रह्मा एवं बख्तियार खिलजी का मध्यकालीन मकबरा भी जिले के गौरवशाली अतीत की याद दिलाता है।


 यहां देश-विदेश के पर्यटक दर्शनार्थी आते रहते हैं। कैमूर की मेहनती और कर्मठ संस्कृति की ही यह पहचान है कि आज यह क्षेत्र बिहार के मुख्य खाद्यान्न उत्पादक क्षेत्रों में गिना जाता है। यह कृषि प्रधान जिला है। कैमूर जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और संबंधित उद्योगों जैसे चावल चमकाने से प्रेरित है। चावल, गेहूं, गन्ना, तेल-बीज, दालें और मक्का जिले की मुख्य फसलें हैं। कैमूर  बिहार के चावल के कटोरे के रूप में जाना जाता है। नहर सिंचाई प्रणाली इस क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है। जिले में उत्पादित सब्जी, दूध आधारित उत्पाद निकटवर्ती जिलों उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के बाजारों में भेजे जाते हैं। यह जिला अपनी संपन्न और समृद्ध लोक परंपराओं, सांस्कृतिक विविधताओं तथा परंपरागत हस्तशिल्प पत्थर की मूर्तियों, कंबल, आकर्षक दरी, गलीचों, बनारसी साड़ियों और बीड़ी निर्माण के लिए भी जाना जाता है।  

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