बिहार के प्रमुख मंदिर---पटनदेवी मंदिर,पटना
बिहार के प्रमुख मंदिर---पटनदेवी मंदिर,पटना
पटन देवी मंदिर,पटना -----
शिव
पुराण के अनुसार सती दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शंकर की पत्नी थी। उनके अवतरण, विवाह और अंत की कथा पुराणों में वर्णित है। सती ने अपने पिता के इच्छा के विरूद्ध भगवान शंकर से शादी की थी। एक बार सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ किया था। इस यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया। पिता के यहां यज्ञ का समाचार पाकर सती भगवान शंकर के विरोध करने पर भी पितृगृह चली गईं। दक्ष के यज्ञ में शंकर जी का भाग न देखकर और पिता दक्ष को शिव की निंदा करते सुनकर, क्रोध के मारे उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। भगवन शंकर सती का प्रभावहीन शरीर कंधे पर लेकर उन्मत भाव से नृत्य करते त्रिलोक में घूमने लगे। यह देखकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर को टुकड़े-टुकड़े करके गिरा दिया। सती के शरीर के खंड और आभूषण 51 स्थान पर गिरे। उन स्थानों पर एक-एक शक्ति और एक-एक भैरव, नाना प्रकार के स्वरूप धारण कर के स्थित हुए।
उसी 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ (दक्षिण जंघा) मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में गिरा, जो स्थान आगे चलकर श्री बड़ी पटनदेवी के नाम से विख्यात हुआ। पट मतलब वस्त्र। पट के कारण ही शहर का नाम पटना हुआ। पटना के गुलजारबाग रेलवे स्टेशन के निकट है यह माता का शक्तिपीठ। 51 शक्तिपीठाें में श्रीश्री पटनदेवी ही एकमात्र एसा शक्तिपीठ है, जहां माता महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती- तीनाें रूपाें में विद्यमान हैं। माता पूरे विश्व का कल्याण करती हैं।
माता पटना नगर की नगर देवी भी हैं।
यहां माता तीनाें रूपाें में हैं, इसीलिए उन्हें सभी तरह का आनंद देनेवाली देवी सर्वानंदकरी कहा जाता है। इनकी आराधना से शक्ति, विद्या और धन तीनाें की प्राप्ति हाेती है। यहां सालाें भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।




