औरंगाबाद जिले का परिचय --

 


औरंगाबाद  जिले का परिचय -- 
  

औरंगाबाद जिला  --  




औरंगाबाद जिला मगध प्रमंडल का हिस्सा है।   जिले का मुख्यालय औरंगाबाद ही है।    इस जिले में 2  अनुमंडल और 11 प्रखंड हैं।  शहर का क्षेत्र 3,389 वर्ग किलोमीटर (1,309 वर्ग मील) है। 26 जनवरी 1973 को गया जिले को तीन खंडों में विभाजित किया गया था। गया जिला के अनुमंडल के रूप में रहे औरंगाबाद 26 जनवरी 1973 को ही नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया था। जिले की आबादी करीब 30 लाख के करीब है।  औरंगाबाद के पूर्व के गया जिला , पश्चिम में रोहतास जिला , उत्तर में अरवल जिला तथा दक्षिण में झारखण्ड का पलामू जिला है।   जिले में कुल 32  पुलिस थाने  हैं। इस जिले में 202  ग्राम पंचयत और 1884  गांव  हैं।  इस जिले के अंतर्गत 2 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र आते हैं : औरंगाबाद और काराकाट। जिले में  कुल 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र आते हैं: गोह, ओबरा, नबीनगर , कुटुंबा , औरंगाबाद और रफीगंज। 

औरंगाबाद आदिरी नदी के तट  पर स्थित है। बड़ा बेटा नदी पश्चिम में 20 किलोमीटर (12 मील) है। औरंगाबाद जिले के माध्यम से पुनपुन, औरंगा, बटाणे, मोहर और मदर जैसे अन्य नदियां बहती हैं।  इसकी आबादी 101,520 है इस क्षेत्र के लोग मगही और हिंदी बोलते हैं। औरंगाबाद भी देव सूर्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है ।

जिला बनने के बाद औरंगाबाद लगातार विकास की ओर अग्रसर है। स्वतंत्रता की लड़ाई में यहां के वीरों की योगदान से लेकर आजादी बाद औरंगाबाद को जिला बनने तक की कहानी रोचकपूर्ण है। प्राचीन मगध साम्राज्य का अंग रहे औरंगाबाद सुदृढ़ सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत को तो संजोए ही है। आज औद्योगिक रूप में भी राष्ट्रीय फलक पर उभर रहा है। इसमें बिजली परियोजना व सीमेंट फैक्ट्री समेत कई अन्य छोटे-बड़े उद्योग का अहम योगदान रहा है। 19 जनवरी 1973 को जारी हुई थी अधिसूचना औरंगाबाद को जिला बनाने से संबंधित औपचारिक अधिसूचना 19 जनवरी 1973 को ही जारी कर दी गई थी।


 औरंगाबाद को  ”बिहार का चितौडगढ़” कहा जाता है, सूर्यवंशी वंश की इसकी काफी राजपूत आबादी है १९५२ में पहली भारतीय आम चुनाव के बाद से, औरंगाबाद ने केवल राजपूत प्रतिनिधियों को ही चुना है अन्य परिवार समूह औरंगाबाद में प्रतिनिधत्व मौर्य, गुप्त और गदावादला (स्थानीय रूप से वर्तनी ”गढ़वाल बिहार में गहरावाल” ) शामिल है।    प्राचीन काल में, औरंगाबाद, मगध (१२००-९०० ईसा पूर्व ) के महाजन पद  में स्थित था।   शहर के प्राचीन शासको बमिबसर ,  अजातशत्रु के  शासन के दौरान, औरंगाबाद रोहतास सरकार के हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण भाग बन गया।   मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास में राजस्थान से आने वाले प्रवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. पवर, माली और चंदनगढ़ कुछ ऐसे स्थान है जहां पुराने किलों के अवशेष देखे जा सकते हैं। 


जिले की प्रमुख  नदियों में सोन नदी, आदिरी नदी, पुनपुन नदी, औरंगा, बटाणे, मोहर और मदर नाम शामिल हैं। जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. जिले में उगाए जाने वाले प्रमुख फसल हैं: धान गेहूं चना  और अन्य दलहन।  जिले की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन और छोटे-मोटे उद्योग पर निर्भर है।   इसके साथ साथ औरंगाबाद एक तीर्थ स्थल भी है।  यहाँ का देव सूर्य मंदिर विश्व प्रसिद्ध है।  

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