नवादा जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल --
नवादा जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल --
नवादा जिला एक प्राचीन धार्मिक स्थल है।प्रकृति की गोद में बसा नालंदा एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र है। यहाँ बहुत सारे धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन स्थल हैं।
ककोलत जलप्रपात ----
ककोलत जलप्रपात नवादा जिले में एक बहुत ही सुन्दर और आकर्षक जलप्रपात है।
प्रकृति के मनोरम दृश्यों के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है |पौराणिक
कथाओं के
अनुसार एक प्राचीन राजा ऋषि के अभिशाप द्वारा अजगर में बदल गया था और झरने
के भीतर रहता था। लोककथाओं का सुझाव है कि कृष्णा अपनी रानियों के साथ स्नान
करने के लिए यहाँ आया करते थे । यह भारत में सबसे अच्छे झरनों में से एक है एवं
झरने का पानी पूरे वर्ष के लिए ठंडा रहता है। इस झरने कि ऊंचाई जमीन के स्तर से
लगभग 150 से 160 फीट है।
सूर्य मंदिर हंडिया, नारदीगंज-----
नवादा जिले के नारदीगंज ब्लॉक के हंदिया गांव में स्थित सूर्य नारायण धाम मंदिर
काफी प्राचीन है। यह उन ऐतिहासिक सूर्य मंदिरों में से एक है जो लोगों की आस्था का
प्रतीक है। मंदिर के आसपास के उत्खनन के दौरान, प्रतीक और पत्थर के रथ के
अवशेष प्राप्त हुए थे। माना जाता है कि यह मंदिर द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। एक
तालाब मंदिर के पास स्थित है यह माना जाता है कि इस पानी में स्नान के बाद कुष्ठ
रोग हटा दिए जाते हैं। रविवार को, बहुत से लोग तालाब में स्नान करते हैं और मंदिर
में पूजा करते हैं |
शेखो-देवरा आश्रम, कौआकोल-----
सुंदर है। शेखो और देवरा नामक दो टोलाओं के संयोजन से, शेखोदेवरा गांव का
निर्माण किया जाता है। गांव में सर्वोदय आश्रम, जिसे 1 9 52 में जयप्रकाश नारायण ने
स्थापित किया था। आश्रम से 500 मीटर की दूरी पर स्थित जंगल के बीच एक चट्टान,
जे.पी. द्वारा ज्ञात चट्टान के रूप में बनाया गया था। 1 9 42 के आजादी के आंदोलन
के दौरान प्रसिद्ध नेता और क्रांतिकारी जयप्रकाश
नारायण , हजारीबाग जेल से भागने के बाद ,इन चट्टानों ,के पास छिपे रहे थे।
सीतामढ़ी-----
सीतामढ़ी नवादा जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
यह जगह प्राचीन समय से एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहां 16
फुट लंबा और 11 फीट चौड़ा प्राचीन गुफाएं हैं। एक गोल चट्टान काटा जाता है और
कूटर बन जाता है, जिसके भीतर पत्थरों को पॉलिश किया जाता है। यह गुफा माना
जाता है कि यह खंभे के आधार पर मौर्य कालीन होता है। ऐसी मान्यता है कि
संतों को आश्रय देने के लिए गुफा का निर्माण किया गया था।
गुफा के भीतर, देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित है। एक चट्टान गुफा के बाहर
दो भागों में विभाजित है। यह सीता जी के आत्मसात की घटना से भी जुड़ा हुआ है।
इसके अलावा, स्थानीय लोगों का मानना है कि यह -कुश का जन्मस्थान है।
श्री गुनावां जी तीर्थ-------
श्री गुनावां जी तीर्थ नवादा जिले के गोनावां गांव में स्थित है। यह मंदिर जैन मुनी गंधर्व
स्वामी को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि गौतम स्वामी महावीर जी के एक शिष्य
थे। गौतम स्वामी जी ने , भगवान महावीर के निर्वाण के 12 वर्ष पश्चात् इसी स्थल पर
निर्वाण की प्राप्ति कि थी | यह जैनों द्वारा स्थापित किया गया था। यह प्राचीन मंदिर
भगवान महावीर के समय का है | वर्तमान में श्री जैन श्वेताम्बर इस मंदिर की देखरेख
कर रहे हैं।
52 कोठी 53 द्वार-----
यह पकरी बराॅवा प्रखण्ड के बुधौली पंचायत के बुधौली गाॅव में स्थित है। शिक्षा और धर्म
के महत्वर्पूण केन्द्र के रूप में यह जिले में अपनी खास पहचान रखता है। इस मठ के
अन्दर अरबो रूपायें की बहुमुल्य अष्ट धातु की प्रतिमाये रखी हुई है, इनमें भगवान,
विष्णु, सीता, राम, शंकर, आदी की प्रतिमाएं है। इस मठ में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ0
राजेन्द्र प्रसाद, महात्मा गाॅधी, अब्दुल गफार खां सरीखे बड़े महापुरूषों का आगमन
हुआ है। डाॅ0 सूर्य प्रकाश पूरी के समय में मगध विष्वविद्यालय के लिए 250 एकड़
जमीन दान में दी गई इसी जमीन पर आज भी विश्वविद्यालय संचालित है।
बुधौली मठ, बुधौली------
यह पकरीबराॅवा प्रखण्ड के बुधौली पंचायत के बुधौली गाॅव में स्थित है। यह मुख्य रूप
से धर्म अध्यात्म और ज्ञान दर्शन का केन्द्र रहा है। इस मठ के अन्दर में एक बड़ा सा
तलाब हैं, जहाॅ विश्व के सभी नदीयों का पानी लाकर इस तलाब में डाला गया है।
बुधौली मठ 1800 ई0 का बना हुआ है। इस मध्य में आज भी एक सुन्दर सा दुर्गा
मण्डप है। प्रत्येक नवरात्रा को यहाँ देवी की आराधना होती है। पूर्व में यहा 101
महात्मा और पूरोहीत आते रहे हैं| पकीर बराॅवा का ये केन्द्र पर्यटन और इतिहास
में महत्व का स्थान रखता हैं।
इन्द्रासल गुफा, पार्वती--
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार गौतम बुद्ध यहाँ आयें थे, और गुफा में निवास
किये थे | उन्होंने एक वर्ष वर्षावश यहीं हीं बिताये | उस समय देवताओं के राजा
इन्द्रदेव आये उन्होंने बुद्ध को देखा और 42 प्रश्न पूछे |
महात्मा बुद्ध ने सारे प्रश्नों के
उत्तर सही-सही दिए | यह स्थल राजगीर से 30 किमी एवं बोधगया से 120 किमी कि
दुरी पर स्थित है |