मुजफ्फरपुर जिले का परिचय ---

 मुजफ्फरपुर  जिले का परिचय ---


मुजफ्फरपुर जिला ---




मुजफ्फरपुर जिला तिरहुत  प्रमंडल का जिला है इसका मुख्यालय मुजफ्फरपुर शहर है।  इस जिले के पूर्व में दरभंगा , समस्तीपुर पश्चिम में सारण , गोपालगंज  उत्तर में सीतामढ़ी ,पूर्वी चम्पारण और दक्षिण में वैशाली , सारण  जिले हैं।  जिले में दो अनुमंडल , 16  प्रखंड और 16  अंचल तथा 29  पुलिस थाने  हैं।   इस जिले में 1  नगर निगम 385  पंचायत और 1811  गांव  हैं।   जिले में  2  लोक सभा और 11  विधान -सभा सीट हैं , जिले में तीन प्रमुख नदियां गंडक , बूढी गंडक और बागमती है।    

मुजफ्फरपुर जिले का वर्तमान भू -भाग  प्राचीन काल में  विदेह राज्य का हिस्सा था जिसके राजा जनक थे।  सांस्कृतिक रूप से समृद्ध इस प्रदेश का स्वर्णिम इतिहास है।  गुप्त और मौर्य काल में भी इस जिले के इतिहास रहे हैं। वैशाली के आम्रपाली के समय यहाँ के लोग बड़े ही समृद्ध और सुसंगठित थे। ह्यूएन त्सांग की यात्रा से पाल राजवंश के उदय तक, मुजफ्फरपुर उत्तरी भारत के एक शक्तिशाली महाराजा हर्षवर्धन के नियंत्रण में था। 647 ए डी के बाद जिला के स्थानीय  राज प्रमुखों को महत्त्व  दिया गया । छोटे छोट  रियासतों का उदय हुआ और उनका सगसन रहा।   8 वीं शताब्दी की शुरुआत  में पाल राजाओं ने  तिरहुत के  भागों पर  पर  आधिपत्य  कायम रखा।  बाद में  सेना वंश  के शासकों  ने  11 वीं  शादी तक शासन किया  । मुग़लों के समय यहाँ की संस्कृति को काफी नुकसान हुआ।  1211  से लेकर 1226  मुगलो के आक्रमण हुए।  बंगाल के गवर्नर  गयासुदीन ने तिरहुत राज्य पर कब्ज़ा कर लिया और  यहाँ की संस्कृति को काफी नुकसान पहुंचाया।  


चौदहवीं शताब्दी के अंत में उत्तरी बिहार के अन्य राजा और रियासत  जौनपुर के राजा  के पास चले गए और लगभग एक सदी तक उनके नियंत्रण में बने रहे।   दिल्ली के शासक  सिकंदर लोदी ने जौनपुर के राजा को हरा दिया , फिर यहाँ के लोग असंगठित हो गए।  । इस बीच, बंगाल के नवाब हुसैन शाह इतना शक्तिशाली हो गया  था। उसने  तिरहूत  और सारण  समेत बड़े इलाकों पर अपना नियंत्रण का प्रयास करना शुरू कर दिया।  कुछ समय बाद तिरहुत और सारण  पर मुगलों का अधिकार हो  गया।  


1764 में बक्सर की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत हुई फलस्वरूप   पूरे बिहार पर उनका  नियंत्रण  हो गया।  1857 के विद्रोह में भी मुजफ्फरपुर ने सक्रीय भूमिका निभाई।  हलाकि यह विद्रोह सफल नहीं हुआ लेकिन आज़दी की चिंगारी मशाल के रूप में जल उठी।  फिर तो यहाँ के स्वतंत्रता सेनानियों ने  महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुजफ्फरपुर के खुदीराम बोस को कौन नहीं जानता। 

 इस युवा क्रांतिकारी देशभक्त के लिए एक स्मारक मुज़फ्फरपुर में बनाया गया था, जो अब भी खड़ा है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद देश में राजनीतिक जागृति ने मुजफ्फरपुर जिले में राष्ट्रवादी आंदोलन को भी प्रेरित किया।  1920  में महात्मा गांधी की यात्रा मुज़फ्फरपुर जिले में  काफी महत्त्व रखती है।  मुजफ्फर पुर की भूमि बड़ी ही समृद्ध है  यही की धरती पर देवकी नंदन खत्री , रामधारी सिंह दिनकर  और जानकी वल्लभ शास्त्री जैसे साहित्यकार हुए।  


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