विद्यापति गीत
विद्यापति गीत जय-जय भैरवि असुर भयाउनि पशुपति भामिनी माया सहज सुमति वर दियउ गोसाउनि अनुगति गति तुअ पाया वासर रैनि सबासन शोभित चरण चन्द्रमणि चूड़ा कतओक दैत्य मारि मुख मेलल कतओ उगिलि कएल कूड़ा सामर बरन नयन अनुरंजित जलद जोग फुलकोका कट-कट विकट ओठ पुट पांडरि लिधुर फेन उठ फोंका घन-घन-घनय घुंघरू कत बाजय हन-हन कर तुअ काता विद्यापति कवि तुअ पद सेवक पुत्र बिसरू जनि माता I ------------------------------ महाकवि विद्यापति - महाकवि विद्यापति का जन्म मधुबनी जिला के विस्फी गांव में गणपति ठाकुर के पुत्र रूप में हुआ था। जिसे मैथिल कवि कोकिल के नाम से भी जाना जाता है, एक मैथिली और संस्कृत कवि, संगीतकार, लेखक, दरबारी और शाही पुजारी थे। वह शिव के भक्त थे, लेकिन उन्होंने प्रेम गीत और भक्ति वैष्णव गीत भी लिखे। वे संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश और मैथिली जानते थे। [ विद्यापति का प्रभाव केवल मैथिली और संस्कृत साहित्य तक ही सीमित नहीं था बल्कि अन्य पूर्वी भारतीय साहित्यिक परं...